Link Building for SEO | Types of Backlinks हिंदी में

Link Building for SEO लिंक्स को हम Blog SEO के क्षेत्र में ऑक्सीजन के रूप में देख सकते हैं, जिस तरह से बिना ऑक्सीजन का कोई जीव जीवित नहीं रह सकता है उसी तरह High Quality Backlink के बिना हमारा Blog या Website बेजान सा हो जाता है।

Link Building for SEO

हम इस पोस्ट Link Building for SEO में निम्नलिखित बातें जानने वाले हैं जैसे-

  • 1. what are links यानी लिंक्स क्या होती है, लिंक का स्ट्रक्चर कैसे होता है एवं वो कैसे दिखाई देती है?
  • 2. what anchor tax is important यानी एंकर टेक्स इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है?
  • 3. type of backlinks यानी बैकलिंक्स कितने तरह के होते हैं?
  • 4. No Follow vs Follow यानी नो फॉलो एवं डुफॉलो बैकलिंक्स में क्या अंतर होता है?
  • 5. importance of links यानी लिंक का इंपोर्टेंस क्या होता है?
  • 6. what is quality in links यानी लिंक्स की क्वालिटी कितने तरह की होती है, लिंक्स को पोस्ट के कौन से हिस्से में बनाना जरूरी होता है?
  • 7. what is relevance in links यानी लिंक रेलेवेन्स क्या होता है?
  • 8. quantity of links यानी लिंक्स कितना बनाना चाहिए?

What are Links लिंक्स क्या होती है?

अगर आप एक Blogger हैं तो आपके Blog के लिए लिंक या बैकलिंक काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और गूगल भी हाई अथॉरिटी बैकलिंक्स को काफी इंपोर्टेंस देता है।

जब हम अपने Blog या Blog Post के url को किसी दूसरे साइट में ऐड करते हैं तो हमारे लिए वो एक बैकलिंक्स होता है और इसी को लिंक या Backlinks कहा जाता है।

उदाहरण के लिए आपका साइट है A और एक अन्य दूसरा साइट है B, आप अपने साइट पर पोस्ट लिखते समय B साइट के यूआरएल को अपने पोस्ट में आउट बाउंड लिंक के रूप में मेंशन कर दिया तो B साइट वाले को आपके साइट से एक Link या Backlink मिल गया।

Link कई तरह के होते हैं लेकिन anchor tax वाला लिंक सबसे ज्यादा प्रभावी एवं महत्वपूर्ण होता है उदाहरण के लिए एंकर टेक्स लिंक का स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार होता है।

<a href=””></a>

अब हम इसी स्ट्रक्चर में अपना ब्लॉग या Blog Post के url को फिट करते हैं एवं साथ ही कीवर्ड भी डालते हैं। उदाहरण के लिए मैं अपना इसी ब्लॉग के लिए एक बैकलिंक्स बनाना चाहता हूं तो मैं इस लिंक के स्ट्रक्चर में अपना ब्लॉग के url एवं कीवर्ड कुछ इस तरीके से फिट करूंगा।

<a href=”https://blogseohelp.com/”>blogseohelp</a>

अब मैं इस पूरे लाइन को कॉपी करके किसी भी दूसरे वेबसाइट के पोस्ट में कमेंट में या प्रोफाइल में डालने के लिए कहूंगा और वहां पर हमें सिर्फ blogseohelp ये किवर्ड ही दिखेगा इसी के बैकग्राउंड में मेरा ब्लॉग का लिंक लगा रहेगा जब भी कोई इस कीवर्ड पर क्लिक करेगा तो वो मेरे इस ब्लॉग पर आ जाया करेगा।

आप चाहें तो अपना किसी पोस्ट के यूआरएल और उस पोस्ट का कीवर्ड भी इस स्ट्रक्चर में फिट कर सकते हैं, ऐसा करने से आपके उस पोस्ट का वो कीवर्ड धीरे धीरे रैंकिंग में आने लगता है और ये उस लिंक के क्वालिटी के ऊपर निर्भर करता है कि आपने कितना बड़ा साइट से लिंक लिया है।

What Anchor Tax is Important

Link Building for SEO के लिए Anchor Tax वाला लिंक ही सबसे ज्यादा सुरक्षित एवं महत्वपूर्ण होता है और गूगल भी इसे सबसे ज्यादा वरीयता देता है। अगर आप अपने साइट या किसी पोस्ट के सिर्फ यूआरएल को किसी दूसरे साइट पर डालते हैं या डलवाते हैं तो कई बार इसे गूगल बैकलिंक्स भी नहीं मानता है।

अगर आप किसी दूसरे साइट से बैकलिंक्स ले रहे हैं तो सामने वाले को ये जरूर बोले कि एंकर टेक्स के ऊपर ही लिंक डालें या आप खुद से इस स्ट्रक्चर को जैसे ऊपर बताया गया है बनाएं और फिर उनको दे दे।

ध्यान रहे अगर आपके Blog या Blog Post के url किसी दूसरे हाई अथॉरिटी साइट पर है लेकिन वो Anchor Tax Structure में नहीं है तो फिर उसका कोई फायदा नहीं हो सकता है क्योंकि गूगल इसे लिंक मानेगा ही नहीं।

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type of backlinks बैकलिंक्स कितने तरह के होते हैं?

लिंक मुख्यता दो तरह के होते हैं Internal Link और External Link जब आप अपने ही पोस्ट में उसी पोस्ट से संबंधित किसी दूसरे पोस्ट को लिंक करते हैं तो इसे इंटरनल लिंक कहा जाता है।

लेकिन जब आप अपने पोस्ट में किसी दूसरे साइट के लिंक को डालते हैं तो इसे External Link कहा जाता है, और ये लिंक उस साइट के लिए एक बैकलिंक होता है।

No Follow vs Follow

इसके अलावा लिंक का एक और प्रकार होता है जो उस लिंक के रिलेशनशिप के ऊपर माना जाता है यह दो तरह के होते हैं No Follow और Follow वैसे फॉलो लिंक को डुफॉलो लिंक भी कहा जाता है।

No Follow Link का मतलब ये हुआ कि आप गूगल को ये बता रहे हैं कि हमने किसी दूसरे साइट को लिंक तो दिया है लेकिन उस साइट की गारंटी हम नहीं ले रहे हैं एवं नो फॉलो लिंक को गूगल फॉलो नहीं करता है।

लेकिन 2019 में गूगल ने अपने एक अपडेट में ये बता दिया कि हम सभी नो फॉलो लिंक को फॉलो ना करें ये कोई जरूरी नहीं है ये हमारे ऊपर डिपेंड करता है और कुछ नो फॉलो लिंक को भी गूगल फॉलो करता है।

अगर आप किसी दूसरे साइट को नो फॉलो लिंक देना चाहते हैं तो आप इनकम टैक्स के स्ट्रक्चर में rel=”nofollow” लगा देंगे यानी आपके नो फॉलो लिंक का स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार बनेगा

<a href=”” rel=”nofollow”></a>

नो फॉलो लिंक का शुरुआत गूगल ने स्पैमिंग को रोकने के लिए शुरू किया था। अगर आपको किसी हाई अथॉरिटी साइट से फॉलो लिंक मिला है तो इसका मतलब गूगल के नजर में वो साइट आपके साइट को सपोर्ट कर रहा है ये बता रहा है कि आपके साइट पर या उस पेज पर अच्छा कंटेंट है और इसी वजह से उस लिंक के जरिए आपका वो पेज टॉप रैंकिंग को प्राप्त करता है।

Importance of Links

SEO के लिए Links सर्च इंजन में उस पेज को टॉप में रैंकिंग प्राप्त करना होता है लेकिन गूगल के नजर में लिंक या बैकलिंक ये बताते हैं कि आपका पेज कितना महत्वपूर्ण है।

जब आपके किसी पेज को किसी हाई अथॉरिटी साइट से लिंक मिलता है तो गूगल को ये समझने में आसानी होती है कि आपके उस पेज में भी अच्छे कॉन्टेंट है क्योंकि एक हाई अथॉरिटी साइट ने आपके उस पेज को लिंक के द्वारा सपोर्ट कर रखा है।

पहले गूगल लिंक के बेस पर ही पेज को रैंक करना एवं सर्च इंजन में टॉप में दिखाना शुरू किया था लेकिन अब सिर्फ लिंक ही सब कुछ नही है बल्कि आपके उस पेज में कांटेन्ट की क्वालिटी भी हाई होनी चाहिए।

अगर गूगल आपके किसी पेज को लिंक के बेस पर टॉप में रैंकिंग दे भी देता है और यूजर उस पेज को पसंद नहीं करते हैं तो आपका वो पेज वापस धीरे-धीरे सर्च इंजन में नीचे के तरफ चला जाएगा।

लिंक इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि लिंक के द्वारा गूगल दूसरे साइट से आपके साइट तक आता है भले ही आपने उस पेज को साइटमैप में ऐड ना किया हो लेकिन अगर आपके उस पेज को किसी दूसरे साइट से लिंक मिला है तो गूगल आपके उस पेज को उस लिंक के जरिए Crawl करता है।

वैसे ये टॉपिक काफी बड़ा होता है इसलिए हम उन पॉइंट्स को छोड़ते जाएंगे जो Link Building for SEO से अलग होंगे।

What is Quality in Links

एक लिंक से सबसे अच्छा पेज रैंक पास तब होता है जब आपका लिंक किसी पोस्ट के सबसे ऊपर के तरफ होता है, यानी जब आप किसी दूसरे साइट से लिंक लें तो उनसे कहें कि वो आपके लिंक को पोस्ट में ज्यादा से ज्यादा ऊपर के तरफ यानी फर्स्ट, सेकंड या थर्ड पैराग्राफ में ही डालें ज्यादा नीचे ना डालें।

इसके अलावा अगर किसी पोस्ट में साइड बार में भी क्लिक होने का ज्यादा चांस होता है तो साइड बार का लिंक की क्वालिटी भी उत्तम हो सकती है।

पोस्ट के लास्ट में मिला हुआ लिंक या फुटर एरिया में मिला हुआ लिंक लो क्वालिटी का लिंक होता है लेकिन कई बार पोस्ट के लास्ट में मिला हुआ लिंक भी हाई क्वालिटी का हो जाता है लेकिन अगर वो लिंक एक बड़ा सा जगमगाता हुआ बटन पर फिट हो और उस पर क्लिक होने का चांस ज्यादा हो।

कई बार किसी वेबसाइट के डिजाइन के अनुसार अगर साइड बार भी ज्यादा आकर्षित होता है और यहा पर क्लिक होने का चांस ज्यादा होता है तो साइड बार के लिंक भी हाई क्वालिटी का बन जाता है।

किसी भी साइट से लिंक लेते समय आप खुद से उनके साइट को चेक कर सकते हैं अगर साइड बार या फुटर में भी क्लिक होने का चांस ज्यादा हो तो आप वहां से भी लिंक ले सकते हैं वो भी High Quality का Link माना जाता है।

What is Relevance in Links

कई बार आपने Relevance Links का नाम सुना होगा रेलीवेंस लिंक का मतलब आपके पोस्ट में लिखा गया कॉन्टेंट से ही मिलता जुलता किसी दूसरे Page से लिंक मिलना और ये सबसे उत्तम एवं हाई क्वालिटी का लिंक होता है।

अगर आपका Blog Blogging से संबंधित जानकारी देता है और आपने किसी दूसरे साइट जो कि खाना बनाने से संबंधित जानकारी देता है उससे लिंक लेते हैं तो फिर वो लिंक का कुछ खास फायदा नहीं होता है।

गूगल हमेशा से यही बताते आया है कि आप अपने पेज के लिए उसी पेज से संबंधित दूसरे साइट या पेज से बैकलिंक लें अन्यथा लिंक का रेलीवेंस ना होने पर वो लिंक गूगल के नजर में किसी काम का नहीं रहेगा।

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Quantity of Links लिंक्स कितना बनाना चाहिए?

Links या Backlinks का टोटल वॉल्यूम कितना होना चाहिए या लिंक कितना बनाना चाहिए इस बात की जानकारी ना हीं आज तक कभी गूगल ने दिया है और ना ही किसी को पता है लेकिन हां जितना ज्यादा से ज्यादा हाई क्वालिटी का लिंक आपके पेज को मिला रहेगा उतना ज्यादा उस पेज का रैंकिंग बढ़ेगा।

Link बनाने का रेसियो को धीरे-धीरे आगे के तरफ बढ़ाना चाहिए, उदाहरण के लिए आपने इस महीने 10 लिंक बनाया तो अगला महीना आप कोशिश करें कि 12 या 15 लिंक बने। ऐसा नहीं कि आपने एक महीना 50 लिंक बनाया और अगला महीना 500 और फिर उसके अगला महीना वापस 50 पर आ गए।

अचानक बहुत ज्यादा संख्या में लिंक बनने पर भी गूगल इसे स्पैम मानता है इसलिए लिंक बनाने का स्पीड को मेंटेन करके रखना होता है।

नेचुरल लिंक वही होते हैं जो एक हाई अथॉरिटी साइड से मिलते हैं और लिंक बनाने का स्पीड की गति एक बराबर में होता है।

गूगल पिछले 2 साल यानी 24 महीने में बनी हुई सभी लिंक के टोटल नंबर्स के एवरेज को देखता है तो अगर आप बहुत ज्यादा स्पीड के साथ में लिंक बनाते हैं तो आपके द्वारा बनाए गए लिंक को अननेचुरल माना जाएगा और उसका फायदा आपको नहीं मिल पाएगा।

और अंत में

हमने इस पोस्ट में Link Building for SEO के बारे में डिटेल्स में डिस्कशन किया। आप जिस तरह से अपने साइट पर पोस्ट लिखने का एक समय चुन रखे हैं वैसे ही बैकलिंक्स भी बनाने के लिए एक समय चुने और बैकलिंक्स बनाने का गति एक जैसा रखे हैं ना ज्यादा कम और ना बहुत ज्यादा।

हमें उम्मीद है इस पोस्ट से आपको बहुत कुछ सीखने को मिली होगी अगर अभी भी आपके पास इस पोस्ट से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके हमें बताएं।

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